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रविवार, 29 जनवरी 2012

कौन थी राधा ?


कौन थी राधा ?

पिछले दिनों न्यायालय ने लव इन रिलेशनशिप के मामले में योगिराज श्रीकृष्ण और राधा को घसीट लिया। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से इस विषय पर चर्चा आवश्यक है। विडम्बना तो यह है कि श्री कृष्ण के भक्त कहलाने वाले भी श्रीकृष्ण को लांछित कर गौरवान्वित हो रहे हैं। लेखक।


प्रिय पाठकवृन्द! प्राचीन भारतीय संस्कृति को नीचा दिखाने के लिए पश्चिम की कुसभ्यता का अडंगा समाचार पत्र, पत्रिकाओं व दूरदर्शन आदि के माध्यम से बड़े-बडे़ षड्यंत्र रचकर भारत के घर-घर में भेजा जा रहा है। गुलामी के संस्कारों में जीने वाला ‘इण्डिया’ इसे अपनाने में गौरव समझता है और जिस नग्नता को भारत स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है, उसे ‘इण्डिया’ न्यायालय के माध्यम से भारत पर थोंप रहा है। भारत की जीवन शैली का आहार, विचार, व्यवहार व परिवार सब कुछ मर्यादा में बँधा होता था, पर मुक्त यौनाचार के इच्छुक इण्डिया ने पश्चिम के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का नाम लेकर सब मर्यादाएँ तोड़ दीं। आश्चर्य तो इस बात का है कि अब पुराणों का नाम लेकर भी पश्चिम की नग्नता भारत में पैर जमाने लगी है।
वर्तमान शैली में भारत का इतिहास लिखने वाले इतिहासकारों ने पुराणों को ऐतिहासिक स्रोत के रूप में कभी स्वीकार नहीं किया। यहाँ तक कि ऐतिहासिक ग्रंथो- रामायण, महाभारत को भी काल्पनिक कहकर हटा दिया और विडंबना दखिये कि अब नग्नता का प्रवेश कराने के लिए उन्हीं पुराणों को प्रमाण के रूप में प्रस्तुत कर दिया। श्री जगदीश सिंह गहलोत ने ‘राजस्थान के राजवंशों का इतिहास’ मे लिखा है-
‘पुराण एक गपोड़ गाथाओं का भण्डार है जो सुप्रसिद्ध इतिहासज्ञ  के पं. चिन्तामणि विनाया वैद्य के मतानुसार ई. सन् 300 से 900 के बीच बने हैं। पुराणों को शुद्ध इतिहास का महत्त्व नहीं दिया जा सकता।’
अन्य इतिहासकार भी इन्हें महर्षि वेदव्यास की रचना तो दूर किसी अन्य एक विद्वान् की एक समय में लिखी रचना भी नहीं मानते। फिर ऐसे पुराणों में वर्णित कवि कल्पित राधा को भारत का सर्वोच्च न्यायालय कैसे मान्यता दे सकता है ? और यदि राधा को मान्यता मिलती है तो क्या सर्वोच्च न्यायालय व देश के कम्युनिस्ट इतिहास पुराणों में वर्णित श्रीकृष्ण से जुड़े अन्य चमत्कारों को मानने की भी उदारता दिखाएँगे ? यथा-
जन्म के समय श्रीकृष्ण चतुर्भुज रूप में आये कारागार में उनके माता-पिता के बंधन अपने आप टूट गये।
उन्होंने बाल्यावस्था में ही पूतना, शकटासुर जैसे अनेक विकराल राक्षसों को मारा, सैकड़ों फनों वाले कालिया नाग का मर्दन किया।
गोवर्धन पर्वत कई दिनों तक अपनी उंगली पर उठाए रखा।
उनकी 16108 रानियाँ थीं व उनके सभी से 10-10 पुत्र हुए।
आकाश में कहीं स्वर्ग है जहाँ इन्द्र शासन करता है आदि।
राधा को मैं काल्पनिक इस आधार पर कह रहा हूँ कि श्रीकृष्ण अपने समय में महान आदर्श चरित्र वाले माने जाते थे। महाभारत के सभी प्रमुख पात्र भीष्म, द्रोण, व्यास, कर्ण, अर्जुन, युधिष्ठिर आदि श्रीकृष्ण के महान-चरित्र की प्रशंसा करते थे। उस काल में भी परस्त्री से अवैध संबंध रखना दुराचार माना जाता था, तभी तो भीम ने द्रौपदी की ओर उठने वाली कीचक की कामी (कामुक) आंखें निकाल लीं थीं। यदि श्रीकृष्ण का भी राधा नामक किसी औरत से दुराचार हुआ होता तो श्रीकृष्ण पर मिथ्या दोषारोपण करने वाला शिशुपाल उसे कहने से न चूकता। सम्पूर्ण महाभारत में केवल कर्ण का पालन करने वाली माँ राधा को छोड़कर इस काल्पनिक राधा का नाम नहीं है, जिसके आधार पर भारत का, नहीं नहीं ‘इण्डिया’ का सर्वोच्च न्यायालय राधा-कृष्ण की तरह भारत के जवान स्त्री-पुरुष को विवाह के बंधन में न पड़कर साथ रहने अर्थात् दुराचार करने की स्वतंत्रता देना चाहता है।
भागवत् पुराण में श्रीकृष्ण की बहुत सी लीलाओं का वर्णन है, पर यह राधा वहाँ भी नहीं है। राधा का वर्णन मुख्य रूप से ब्रह्मवैवर्त पुराण में आया है। यह पुराण वास्तव में कामशास्त्र है, जिसमें श्रीकृष्ण राधा आदि की आड़ में लेखक ने अपनी काम पिपासा को शांत किया है, पर यहाँ भी मुख्य बात यह है कि इस एक ही ग्रंथ में श्रीकृष्ण के राधा के साथ भिन्न-भिन्न सम्बन्ध दर्शाये हैं, जो स्वतः ही राधा को काल्पनिक सिद्ध करते हैं। देखिये-
ब्रह्मवैवर्त पुराण ब्रह्मखंड के पाँचवें अध्याय में श्लोक 25,26 के अनुसार राधा को कृष्ण की पुत्री सिद्ध किया है। क्योंकि वह श्रीकृष्ण के वामपार्श्व से उत्पन्न हुई बताया है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण प्रकृति खण्ड अध्याय 48 के अनुसार राधा कृष्ण की पत्नी (विवाहिता) थी, जिनका विवाह ब्रह्मा ने करवाया। इसी पुराण के प्रकृति खण्ड अध्याय 49 श्लोक 35,36,37,40, 47 के अनुसार राधाा श्रीकृष्ण की मामी थी। क्योंकि उसका विवाह कृष्ण की माता यशोदा के भाई रायण के साथ हुआ था। गोलोक में रायण श्रीकृष्ण का अंशभूत गोप था। अतः गोलोक के रिश्ते से राधा श्रीकृष्ण की पुत्रवधु हुई।
क्या ऐसे ग्रंथ और ऐसे व्यक्ति को प्रमाण माना जा सकता है ? हिन्दी के कवियों ने भी इन्हीं पुराणों को आधार बनाकर भक्ति के नाम पर शृंगारिक रचनाएँ लिखी हैं। ये लोग महाभारत के कृष्ण तक पहुँच ही नहीं पाए। जो पराई स्त्री से तो दूर, अपनी स्त्री से भी बारह साल की तपस्या के बाद केवल संतान प्राप्ति हेतु समागम करता है, जिसके हाथ में मुरली नहीं, अपितु दुष्टों का विनाश करने के लिए सुदर्शन चक्र था, जिसे गीता में योगेश्वर कहा गया है। जिसे दुर्योधन ने भी पूज्यतमों लोके (संसार में सबसे अधिक पूज्य) कहा है, जो आधा पहर रात्रि शेष रहने पर उठकर ईश्वर की उपासना करता था, युद्ध और यात्रा में भी जो निश्चित रूप से संध्या करता था। जिसके गुण, कर्म, स्वभाव और चरित्र को ऋषि दयानन्द ने आप्तपुरुषों के सदृश बताया, बंकिम बाबू ने जिसे सर्वगुणान्ति और सर्वपापरहित आदर्श चरित्र लिखा, जो धर्मात्मा की रक्षा के लिए धर्म और सत्य की परिभाषा भी बदल देता था। ऐसे धर्म-रक्षक व दुष्ट-संहारक कृष्ण के अस्तित्त्व को मानने की उदारता भी क्या भारत का सर्वोच्च न्यायालय और दुराग्रहग्रस्त इतिहास वेत्ता दिखाएंगे ?

30 टिप्‍पणियां:

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    1. Kitne Puran or Granth h hindu dharm me.. Etihas ko likhne walo ne v chedchaad ki h.. Sbhi ko kalpanik hi kaha jaye to koi galat nhi hoga..

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    2. Kalugi asar he national breast ho gai he

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    3. ,वेद पुराणों ग्रन्थ में कहीं नहीं मिलेगा,,,, राधा जी गुजरी थी ओर चेची गोत्र की थी, राधा जी का विवाह कृष्ण जी के साथ हुआ था बाल विवाह हुआ, राधा जी का पिताजी साधारण मालधारी गौ पालक थे

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    4. ,वेद पुराणों ग्रन्थ में कहीं नहीं मिलेगा,,,, राधा जी गुजरी थी ओर चेची गोत्र की थी, राधा जी का विवाह कृष्ण जी के साथ हुआ था बाल विवाह हुआ, राधा जी का पिताजी साधारण मालधारी गौ पालक थे

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  2. http://hindi.revoltpress.com/blog/shri-bhagavatananda-guru/description-of-shri-radha-ji-in-deifferent-sanatan-scriptures/

    एक बार इसे भी पढ़ लें और अपनी मूर्खता पूर्ण पोस्ट को यथाशीघ्र सुधारें। सुनी सुनाई प्रायोजित अफवाहों पर ध्यान न दें और साथ महामहिम श्रीभागवतानंद गुरु जी Shri Bhagavatananda Guru के द्वारा दिये गए शास्त्रीय प्रमाणों के आधार पर अपनी भूल सुधारें।

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    1. नमस्ते..!
      क्युं आपसमे लाड़तेहो..? आओ, प्रभु येशु के शरणमे..सबकी मुक्ति होगी..! जय मशिही..आमेन..

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    2. Ka bakchodi hain be issu k baare me kyaa jantey ho....
      Bina baap k koii bachcha paidaa ho sktaa hain ka.....batao jaraa

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    3. Ka bakchodi hain be issu k baare me kyaa jantey ho....
      Bina baap k koii bachcha paidaa ho sktaa hain ka.....batao jaraa

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  3. http://hindi.revoltpress.com/blog/shri-bhagavatananda-guru/description-of-shri-radha-ji-in-deifferent-sanatan-scriptures/

    एक बार इसे भी पढ़ लें और अपनी मूर्खता पूर्ण पोस्ट को यथाशीघ्र सुधारें। सुनी सुनाई प्रायोजित अफवाहों पर ध्यान न दें और साथ महामहिम श्रीभागवतानंद गुरु जी Shri Bhagavatananda Guru के द्वारा दिये गए शास्त्रीय प्रमाणों के आधार पर अपनी भूल सुधारें।

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  4. मूर्खतापूर्ण पोस्ट है बड़ी बड़ी बातें कह डाली ऐसे आडंबर जो राधा का अस्तित्व हीता दें शिकार है ऐसे ज्ञान पर अधूरा ज्ञान बाँट रहे हैं और वो भी ग़लत ईश्वर उन्ही की तेरह आपको भी क्षमा नहीं करेगा

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    1. आओ, प्रभु येशुके शरणमे..किसीको कोई सिकाएत नहीं रहेगी..
      यह राधा-रेणु-सीता-सूपर्णखा की विवाद पलभरमें गायब....आमेन..!

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    2. Chutiye, tum jaise chutiye hi is kalyug ki pedaish hai...jab sach pata na ho jo neeche ka muh band rak bhosadi ke

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    3. Ishu masih 12 se 18 sal tak kaha rahe iska answer dedo or before crist or after crist jante ho ki nahi iska Matlab Hindu dharm Hi sabse pehle tha or Hindu hone ke liye kuch bhi alag se nahi karna hota Matlab baptise nahi hona hota

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    4. Sale gaddar tere jaise lalchi log dharm parivartan karke isai ho gai videso se paisa khakar

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  5. Sach kanha hai aap ne bas slokh sab ke samane rakhne chahiye thye jaise Rahul Arya Thanks bharat namak youtube channel pe rakhta hai. Jminhe yah post jhuti lag rahi hai wah kurpya thanks bharat youtube channel se jhude air rahul arya se sidha dampark kare

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  6. अलख को कोई लख नहीं सकता

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  7. उत्तर
    1. Radha Laxmi ji ka avtar nahi thi apitu rukmani mata hi Laxmi ji ka avtar thi, Laxmi ji ki vandna is prakar ki jati hai, he maa Laxmi aap bhagvan Vishnu ki priytama Hain, jab Vishnu ram banter Hain to asp sita ka roop leti Hain, jabvishnu Krishna banti Hain, to aap rukmani avtar dharan karti Hain, he was jahan jahan Narayan janm lete Hain,tab aapprithak roop se avtar lekar is sansar par kripa karti Hain🙂🙂🙂🙂🙂

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    2. Aap loge smjj h ya nhi Krishna Avtar k smay maa Lakshmi k 2 roop the ek Prem ka roop or ek patni ka roop Prem Radha h or patni rukmani Bhagwan is dharti or ek kaam k liye nhi aaati kai kaamo k liye aate h vo sirf Dharm sikhane nhi aaye the apithu Prem ka mtlb sikhane aaye the or Radha thi tbhi charcha hui h are Mahabharat me gupt roop se charcha hui h unki or purn roop se charcha kaise Hoti shri Krishna Dharm sikhane gye the Radhe Rani apna shadi shuda Jeevan Nibha rhi thi Mahabharat likhvai h na ved Vyas ji ne to jo jahabharat me hua bhi likhvaya us tym Radha Rani vha thi hi nhi or Puran me shri ji shabd Radha Rani k liye kha gya h aap log nastik hi rhonge itna nhi pta kalpnik chige kbhi itni shaktishaali ho hi nhi skti

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  8. Bhaiya ratnesh Kya bolte ho kuch soch smjh kr bola kro .... Hindu dhrm ko gali to tum de rhe ho . Aj Puri duniya me Bharat ko dekha jata h to Shri radhe k prem k Karan Jana jata h. Himalye se kanyakunari Gujrat se arunachl or pura vidhva inme Rama hua h or tum unhi k prem k astitv pr prshn chinh lga rhe ho . Tum peda hue to Kya tum sidhe prkat ho gye ? Mabap me kuch smbhog ni hua ? Ki tum bhi Mahabharata k yuddha ka parinam ho ... Puran kb likhe kisne liye Kya likha ye mayne nhi rkhta .. mayne ye rkhta h ki ap Kya feel krte ho. Logo ki bhavna ko aahat krne me Maja ATA h kyu ?

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  9. Ratnesh bhai aap sahi likhe hai mai sastro ka adhayan karta hu ye pura
    Sri krishn ji ko nich dikhane ke liye jhuth ka Radha ka naam jod diya hai Sri Krishan Ji ke jivan me Rukmani ke alawa koi aurat nahi thi.

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    1. Or ha to Prem ky h ye bhi btado Prem shadi h agar Krishna ji Ko glt dikhane k liye esa Racha gya h Radha ka Naam to Prem ky h mtlb tum bhi yhi smjte ho Prem sirf shadi h to bhai aao yha se niklo bs bhut ho gya

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  10. तुम्हारे अंदर इतना ज्ञान नहीं कि तुम राधा राधा नाम को समझ सको

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  11. राधे राधे। पादे पादे। राधा कोई नहीं थी। एक झूठ के सिवाय। जय श्री कृष्णा।

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  12. Radha rani thi par isaka ek pramad nahin milta koi bhi chij Shastra me jhutha nahin hai sab sahi par gyan ki koi sima nahin hai Anant hai gyan jitna khojoge utna hi milta chala jayega radha bhi thin aur rukmani bhi thi kisako jitna samjh aaya bina samjhe likh diya jisase jhutha suna ovo bhi likh diya dharm ki burai ke liye

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