भारत को भारत रहने दो
यदि भला चाहते हो अपना, गंगा को सीधा बहने दो।
आर्यों की भूमि आर्यावर्त, भरत से भारत कहलाया,
हिन्दुस्तान बना हिन्दू से, इंडिया है फिरंगी की माया।
आर्यावर्त को पारसमणि, ऋषि दयानन्द ने बतलाया था,
विश्व गुरु बनाने के लिए, विष कई बार पचाया था।
‘मैं भारत हूँ’ कहने वाला, रामतीर्थ सन्यासी था,
विवेकानन्द के लिए इसका, कण-कण मथुरा काशी था।
भारत के लिए मंगल पाण्डे, शोणित की भाषा बोला था,
नाना की बेटी मैनावती का, भी तो बासन्ती चोला था।
इसी माता के लिए हजारों, हँसकर चढ़ गये फाँसी पर,
कितने वीर कुर्बानी दे गये, मेरठ, ग्वालियर, झाँसी पर।
तांत्या, कुँवर, नाना, बहादुर,तुलाराम, झाँसी की रानी,
अपने सिरों की भेट दे गये, नाहर से अद्भुत वे दानी।
रामसिंह कूका, बिरसा मुण्डा, कितने ही बलवन्त फड़के थे,
जिनकी सिंह-गर्जना सुन, दिल अंग्रेजों के धड़के थे।
‘भारत भवन’ बना श्याम ने, क्रांति देवी का किया आह्वान,
योगी अरविन्द मैडम कामा से, आये साधक वीर महान।
मँा का चीर हरण होता देख, चापेकर बन्धु बढ़े आगे,
मिस्टर रैण्ड को मार गिराया, सोये वीर भारत के जागे।
माँ के लिए ही बहा चुके थे, तिलक जी आँखों का पानी,
एक बून्द भी न शेष मिला, स्वर्ग सिधारी जब उनकी रानी।
‘भारत माता’ दल के नेता, थे अजीतसिंह सूफी अम्बाप्रसाद,
‘अभिनव भारत’ सावरकर का, माता का हरता विषाद।
सतावन के समर के लिए, सावरकर ने उगली ज्वाला थी,
इसीलिए तो माता के गल, सजी मुण्डों की माला थी।
दुश्मन के घर जा धींगड़ा ने, दागी भारत की गोली थी,
हँसत-हँसते फाँसी चढ़, जय भारत माँ की बोली थी।
कैसे कोई भुला पाएगा, परमानन्द की दर्द कहानी,
माता की धुन में मस्त हुए, जा पहुँचे वीर काला पानी।
इसी धुन में अजीतसिंह, बरसों रहे वनवासी थे,
रासबिहारी, हरदयाल, पाल, भी क्या कम संन्यासी थे।
शचीन्द्रनाथ ने इस चमन के, थे पेड़ रक्त से सींचे,
प्रत्येक वीर शपथ लेता थ, जा चित्तौड़ दुर्ग के नीचे।
अवध बिहारी, करतार सराभा, कन्हाई दत्त औ काशीराम,
गैंदालाल, गणेशशंकर, प्रफुल्ल चाकी से पुष्प् ललाम।
विष्णु पिंगले, अमीरचन्द, फाँसी चढ़े बसन्त विश्वास,
हार्डिंग पर बम दे मारा, करने ब्रिटिश का समूल विनाश।
सतावन का दाग धो दिया, बब्बर खालसा वीरों ने,
शोणित से किया तर्पण माँ का, सोहन से रणधीरों ने।
भारत के लिए लहू बहा था, श्रद्धानन्द सन्यासी का,
लेखराम और राजपाल ने, किया सिंचन धरती प्यासी का।
भारत में शतबार जन्म के, इच्छुक बिस्मिल लहरी थे,
खुदीराम अशफाक व रोशन, इसके सजग प्रहरी थे।
सइमन कमिशन भारत छोड़ो, यूं पंजाब केसरी दहाड़ा था,
राजगुरु, सुखदेव, भगत ने, ब्रिटिश का तख्त उखाड़ा था।
वीर आजाद ने रक्त बहाया, भारत माँ के पसीने पर,
शत्रु के सौ-सौ वार सहे, अपने फौलादी सीने पर।
भगवती चरण दुर्गाभाभी, बाल मुकुन्द से बलिदानी,
जिनके सुख माँ को अर्पित थे, और हुई अर्पित जवानी।
माँ की आहों को सुनकर, उधम का लावा फूटा था,
ओडायर को मार गिराया, गोरों का सपना टूटा था।
गोरे-तिमिर के महानाश को, सूर्यसेन चमका सूरज सा,
इन माँ के बेटों का दर्शन, होता है मन्दिर की मूरत सा।
खून के बदले मिले आजादी, कह नेता जी हुँकारे थे,
‘जय हिन्द’ का लगा नारा, लड़े माँ के राजदुलारे थे।
मँा की भक्ति में रंगे हुए, वे पागल थे दीवाने थे,
गोरे शत्रु से टकराने को, हरदम सीना ताने थे।
भारत मां के लिए ही गूंजा, ‘वन्दे मातरम्’ नारा था,
‘अंग्रजों भारत छोड़ो’ यह, बच्चा-बच्चा ललकारा था।
अगणित हीरे सजे हुए हैं, माता की सुन्दर माला में,
उन भूलों को नमन करूँ मैं, जो मिट गये वधशाला में।
देश पर मरने वाला वीर, जय भारत मां की बोला था,
हृदय में ज्वाला धधकी थी, हर वीर बना बम गोला था।
आजादी मिलते ही हमने, वीरों की मां को भुला दिया,
लार्ड मैकाले के सपनों का, भारत को ‘इंडिया’ बना दिया।
इंडिया ले गया आजादी को, बंदी अभी तक भारत है,
बिगड़ चुकी है भाषा-भूषा, चरित्र हुआ यहाँ गारत है।
श्रम का तो सम्मान नहीं, माडलिंग पर इनाम मिले,
इतिहासकारों ने गुल खिलाये, देशभक्त गुमनाम मिले।
धूल भरा हीरा है भारत, इंडिया रहे आसमानों में,
भारत के तन पर फट चीथड़े, इंडिया विदेशी परिधानों में।
देह प्रदर्शन करती नारी, ऋषि संस्कृति का कर उपहास,
यौन शिक्षा की वकालत कर, शिक्षा का किया सत्यानश।
चील और कव्वे का भोजन, खाने लगे इंडिया के लोग,
धर्म मोक्ष सब छूट गये, सबको लगा पैसा का रोग।
भारत लड़ता आतंकवाद से, इंडिया करता समझौते,
यदि समय पर जग जाते, तो पाक के मालिक हम होते।
वह देश धरा से मिट जाता है, भूले जो अपने बलिदान,
निज संस्कृति भाषा-भूषा का, जिसको नहीं तनिक अभिमान।
इसीलिए कहता हूँ सुन लो- ओ इंडिया के मतवालों,
भारत को भारत रहने दो, घर में विषधर मत पालो।
युगों-युगों से चलती आई, धारा कभी न सूखेगी,
ऋषि संस्कृति के हत्यारों, पीढ़ी तुम पर थूकेगी।
फिरर से कोई रामदेव बाबा, भारत स्वाभिमान जगाएगा,
दीक्षा ले केाई राजीव दीक्षित, फैल विश्व में जाएगा।।


